बहुत दिलचस्प हैं राकेश वेदा
कुछ बरस पहले की बात है। जगह थी खटकड़ कलां। "ढाई आखर प्रेम के'-यह था काफिले का नाम। इस ऐतिहासिक स्थान से शुरू हो कर इस काफिले ने पूरे पंजाब के गांव गाँव जाना था।
राकेश वेदा जी से पहली भेंट हुई थी खटकड़ कलां वाले मुख्य हाइवे पर जहां शहीद भगत सिंह जी की स्मृति में बहुत बड़ा सरकारी स्मारक बना हुआ है। इसी इमारत के पीछे है शहीद भगत सिंह जी का पुश्तैनी घर। वहां अब भी बहुत सी स्मृतियाँ शेष हैं। बाहर वाली सरकारी इमारत के गेट से बाहर निकल कर एक सड़क इसी पार्क के साथ साथ चलती हुई शहीद के पुश्तैनी घर तक ले जाती है।
इससे पहले कि काफिला चल कर शहीद के पुश्तैनी घर तक जाए हम लोग इस रुट और अन्य प्रोग्राम को डिसकस कर रहे थे। मैं वहां कवरेज के लिए गया था। कैमरे के साथ साथ एक नोटबुक भी मेरे पास थी। जो जो लोग बाहर से आए थे उनके नाम स्टेशन और फोन नंबर