पहली मार्च 2025//याद न जाए बीते- दिनों की....!
बहुत सी बातों के सबूत नहीं होते लेकिन उन पर कमाल का यकीन उम्र भर बना रहता है---!
विसर्जन नहीं हो पाता शायद इसी लिए करनी पड़ती है मुक्ति के लिए साधना
कर्मकांड होता तो शायद विसर्जन भी हो जाता--!
न भी होता तो कम से कम तसल्ली तो हो जाती--!
लेकिन सचमुच विसर्जन हो ही कहां पाता है....!
शायद जन्मों जन्मान्तरों तक भी विसर्जित नहीं हो पाती यादें...!
इसकी याद दिलाई नूतन पटेरिया जी ने। उनकी हर पोस्ट कुछ नए अनुभव जैसा दे जाती है।
कुछ स्थान--कुछ लोग--कुछ रेलवे स्टेशन--कुछ ट्रेनें-कुछ रास्ते--कुछ यात्राएं---शायद इसी लिए याद आते हैं..!
उनसे कोई पुकार भी आती हुई महसूस होती है---!
कुछ खास लोगों की कई अनकही बातें भी शायद इसीलिए सुनाई देती रहती हैं---क्यूंकि किसी न किसी बहाने उनसे मन का कोई राबता जुड़ा रहता है..!
बहुत सी बातों के सबूत नहीं होते लेकिन उन पर कमाल का यकीन उम्र भर बना रहता है---!
मुझे लगता है इस सब पर विज्ञान निरंतर खोज कर रहा है---!
एक गीत बहुत लोकप्रिय हुआ था--
तेरा मुझसे है पहले का नाता कोई--- यूं ही नहीं दिल लुभाता कोई..!
ऐसी भावना और ऐसे अहसास शायद उन्हीं यादों के चलते होते हैं जो कभी विसर्जित नहीं हो पाती---!
यह बनी रहती हैं..कभी बहुत तेज़--कभी बहुत धुंधली सी भी..!
यह कभी भी विसर्नजित नहीं हो पाती...न तो उम्र निकल जाने पर--न देहांत हो जाने पर और न ही शरीर बदल जाने पर-----!
शायद यही कारण होगा कि धर्मकर्म और मजहबों में स्मरण अर्थात याद पर ज़ोर दिया जाता है....!
जाप एक खूबसूरत बहाना है इस मकसद के लिए..!
एकागर होने पर ही बुद्धि ढूँढ पाती है--- दिमाग या मन के किसी न किसी कोने में छुपी उन यादों को जो विसर्जित नहीं हो पाती---!
कभी विसर्जित न हो सकी इन यादों का यह सिलसिला लगातार चलता है...संबंध बदलते हैं..जन्म बदलते हैं..जन्मस्थान भी कई बार बदलते हैं...लेकिन अंतर्मन में एक खजाना चूप रहता है...!
नागमणि की तरह रास्तों को प्रकाशित भी करता रहता है...और शक्ति भी देता रहता है...!
कुंडलिनी की तरफ सोई यादें जब कभी अचानक जाग जाएँ तो उसमें खतरे भी होते हैं...!
अचानक ऐसी बातें करने वालों को मानसिक रोगी कह कर मामला रफादफा कर दिया जाता है लेकिन उनकी बातें निरथर्क नहीं होती...!
कुंभ जैसे तीर्थों में जा कर जब शीत काल की शिखर होती है तो ठंडे पानी में लगे गई डुबकी बहुत कुछ जगाने लगती है...! श्रद्धा और आस्था से इसे सहायता मिलती है...!
यदि ऐसे में किसी का तन मन हल्का हो जाता है तो समझो बहुत सी यादें विसर्जित हो गई...!
बहुत से पाप धुल गए--...!
बहुत सी शक्ति मिल गई...!
अधूरी इच्छाएं और लालसाएं..उसी धरमें बह गई---
इसे ही कहा जा सकता है मुक्ति मिल गई...!~
---रेक्टर कथूरिया