Tuesday, May 10, 2022

गुज़रा हुआ ज़माना--आता नहीं दोबारा---हाफ़िज़ खुदा तुम्हारा--

डाक्टर भारत को यह गाड़ी बहुत पसंद आई थी! 


लुधियाना
: 10 मई 2022: (मुझे याद है ज़रा ज़रा)::

डाक्टर भारत बहुत ही खास शख्सियत थे। उनके जाने का गम आज तक कम नहीं हो पाया। न जाने हर रोज़ उनके साथ उठने बैठने वाले वे मित्र जिन पर उन्हें सभी से अधिक भरोसा था वही लोग उन्हें कैसे भूल गए हैं। चाईना गेट फिल्म में डाकू लुटेरों के साथ लड़ने वाली जो टीम थी उस टीम की तरह डा. भारत एफ आई बी की तरह एक जुझारू टीम बनाना चाहते थे। पूरी साहिब, ग्रेवाल साहिब, राजू, सोनू इत्यादि सभी से उनका स्नेह था। चाय का दौर भी चलता और शाम होने पर दारू का दौर भी। बहुत ज़िंदादिल इंसान थे डा. भारत। आज जब डा. भारत के इलाके में मुद्दतों बाद जाने का सुअवसर मिला तो बहुत कुछ याद आया। एक याद इस कार से सबंधित भी थी। 


एक दिन न्यू कुंदनपुरी लुधियाना की गली में
के नए माडल की गाड़ी आई तो उसे डाक्टर भारत ने भी पसंद किया। यही गाड़ी पास ही के एक डेरा प्रमुख को उनके चाहनेवालों ने भेंट की थी। मॉडल नया नया आया था लोग रुक रुक कर गाड़ी देखते थे। इस गाड़ी को नज़दीक से देखने के लिए डा. भारत गाड़ी के पास तक भी आए..मैंने निवेदन किया एक दो फोटो भी खिंचवा लो--तो डा. भारत सहर्ष मान गए। 

बस 2021 की जाती हुई सर्दियों में उतारी थी यह फोटो। मैंने पूछा क्या सोच रहे हैं आप? कहने लगे ऐसी गाड़ी अपने वाली चाईना गेट टीम के पास भी होनी चाहिए। मैंने मज़ाक से कहा बाबा जी आते ही होंगें उनसे गुजारिश कर लेते हैं वो ज़रूर मान जाएंगे। 

इतने में उनके फोन की घंटी खनखनाई डाक्टर भारत उधर उलझ गए। मन की बात मन में ही रह गई। चाईना गेट टीम उनका देहांत होते ही बिखर गई। तब उस गीत के बोल भी समझ आए--
कोई किसी का नहीं ये झूठे,
नाते हैं नातों का क्या?
कस्मे वादे प्यार वफ़ा सब,
बाते हैं बातों का क्या॥

इसके साथ ही एक और गीत के बोल याद आ रहे हैं--कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन....!  
लेकिन कहां वापिस आते है गया हुआ वक्त और गुज़रे हुए लोग! 
--रेक्टर कथूरिया


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